कम्प्यूटर : एक संक्षिप्त परिचय(INTRODUCTION TO COMPUTER)


अध्याय-1 |
कम्प्यूटर : एक संक्षिप्त परिचय
कम्प्यूटर:- कम्प्यूटर एक तेजी से गणना करने का अभिकलन उपकरण है
कम्प्यूटर:- एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जो बाहर से निर्देश प्राप्त कर सकता है और तय कार्यक्रम के उपयोग से संख्यात्मक आँकड़ों या अन्य प्रकार की जानकारी दे सकता है।
कम्प्यूटर की विशेषताएँ 
1. उच्च गति :- कम्प्यूटर में मनुष्यों की अपेक्षा अधिक गति से दैनन्दिन के कार्य पूरा        करने की क्षमता है। वे जटिल गणनाओं को क्षणभर में कर सकते
|2. पारशुद्धता:-जब कोई कार्य मैन्युअल रूप से किया जाता है, तो हमेशा मानवीय त्रटि की सम्भावना होती है। यदि डाटा इनपुट सही है तो कम्प्यूटर का उपयोग उस तरीके से कार्य करने के लिए किया जा सकता है जो परिशुद्धता सुनिश्चित करता है।
3. सग्रहण:-कम्प्यूटर बड़ी मात्रा में जानकारी संग्रह कर सकता है। जानकारी का संग्रह करने के बाद, जैसी आवश्यकता हो उसे वापस लाया जा सकता है।
4. स्वचलन:-कम्प्यूटर को जटिल कार्य स्वचालित रूप से करने के लिए कहा जा सकता है।
5. एकरूपता:-कम्प्यूटर एक ही कार्य को बिना थके बार-बार उसी परिशुद्धता के साथ कर सकते हैं।
6. बहुविज्ञता:-कम्प्यूटर का उपयोग आसान और जटिल दोनों ही कार्यों को करने के लिए किया जाता है।
7. लागत -प्रभाविता:-कम्प्यूटर्स कागजी कार्यवाही और मानवीय प्रयास की मात्रा को घटाते हैं, उसके द्वारा वे लागत में कटौती कर रहे हैं।
डाटा
यह तथ्यों और सूचनाओं का व्यवस्थित संकलन है।
यह दो प्रकार का होता है ।
(i) संख्यात्मक डाटा (Numerical Data)—यह अंकों से बनाया गया है जो 0, 1, 2, 3, ... 9 तक के अंकों पर आधारित है। इस डाटा पर अंकगणितीय क्रियाएँ की जा सकती हैं।
(ii) चिह्वात्मक डाटा (Alphanumeric Data)—यह चिह्नों और अक्षरों का उपयोग किया जाता है। इस डाटा के आधार पर तुलनात्मक निष्कर्ष निकालते हैं।
प्रोसेसिंग (Processing)
दिये हुए डाटा को प्रदर्शित करने योग्य बनाने के लिए अथवा उसमें से उपयोगी सूचनाएँ निकालने के लिए हमें उस डाटा पर कई प्रकार की क्रियाएँ (गणनाएँ, तुलनाएँ, परिवर्तन, आदि) करनी पड़ती हैं। इन क्रियाओं को सम्मिलित रूप से प्रोसेसिंग (Processing) कहा जाता है।

सूचना (Information)
इनपुट के रूप में हम कम्प्यूटर को कच्चा डाटा (Raw data) तथा निर्देश (Instruction) या प्रोग्राम (Program) देते हैं और आउटपुट के रूप में उससे हमें उपयोगी सूचनाएँ (Information), (रिपोर्ट, चार्ट, ग्राफ, आदि) प्राप्त होते हैं।

अनुदेश (Instruction) 
डाटा पर कम्प्यूटर द्वारा कार्य किए जाने के लिए दिए गए निर्देशों को ही इन्स्ट्रक्शन कहते हैं। प्रोग्राम (Program)—इन अनुदेशों के समूह को प्रोग्राम कहते हैं। सॉफ्टवेयर (Software)—यह प्रोग्रामों के समुच्चय को, यह कम्प्यूटर के विभिन्न कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होता है। कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली 5 प्रकार की होती है।

1. इनपुट:-की-बोर्ड, माउस, स्कैनर, आदि के द्वारा हम अपने निर्देश, प्रोग्राम तथा इनपुट-डाटा प्रोसेसर को भेजते हैं।
2. प्रोसेसर:-यह निर्देश तथा प्रोग्राम का पालन करके कार्य सम्पन्न करता है।
3. संग्रह :- भविष्य के प्रयोग के लिए सूचनाओं को संग्रह के माध्यमों-हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, आदि पर एकत्र किया जाता है।
4. आउटपट:- प्रोग्राम/निर्देश का पालन हो जाने पर आउटपुट को स्क्रीन, प्रिण्टर, आदि साधनों पर भेज दिया जाता है।
5. सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट:- सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को केन्द्रीय विश्लेषक इकाई भी कहा जाता है, यह कम्प्यूटर का वह भाग है जहां पर कम्प्यूटर प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है।

डाटा पोसेसिंग और इलेटॉनिक डाटा प्रोसेसिंग
कम्प्यूटर क्योकि डाटा की प्रोसेसिंग करता है, इसलिए उसके कार्य को डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) कहा जाता है। क्योंकि  कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है. इसलिए इस कार्य को इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Processing), संक्षेप में ईडीपी (EDP) भी कहा जाता है।

कम्प्युटर सिस्टम
 कम्प्युटर उपकरणों का एक समूह है, जो एकत्रित होकर डाटा प्रोसस करते हैं। यह कंप्यूटर सिस्टम में अनेक इकाइयां होती हैं जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग में होता है।

इनपुट यूनिट (Input Unit)जो यूजर (User) से डाटा प्राप्त कर सेण्ट्रल प्रोसिंग यूनिट को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में  प्रवाहित करती है|

सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU)--CPU एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप है जोकि डाटा को इन्फॉर्मेशन में बदलते हए प्रोसेस करता है। इसको कंप्यूटर का दिमाग कहा जाता है। इसको निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है

1. अर्थमैटिक लॉजिक युनिट (ALU)-इसका उपयोग गणितीय और अंकगणितीय गणना के अन्तर्गत जोड, घटाव,घोड़ा तथा भाग आदि में किया जाता है।

2. कण्ट्रोल युनिट (Control Unit) -कम्प्यूटर के सभी कामों को नियन्त्रित करता है और कम्प्यूटर के सभी भागों  जैसे इनपुट ,आउटपुट, डिवाइसेज, प्रोसेसर, आदि की सभी गतिविधियों के बीच तालमेल रखता है।
3. मेमोरी यूनिट (Memory Unit)यह मुख्यत: दो भागों—प्राइमरी और सेकण्डरी मेमोरी में बाँटा गया है। वर्तमान में उपयोग किए जा रहे Data और निर्देश का संग्रह प्राइमरी मेमोरी में होता है। सेकण्डरी मेमोरी का उपयोग बाद में उपयोग किये जाने वाले डाटा तथा निर्देशों को संग्रहित करने में होता है।

प्राथमिक या मुख्य मेमोरी–इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

(a) रैम (RAM-Random Access Memory) रैम एक अस्थायी मेमोरी है जिसमें सक्रिय डाटा और प्रोग्राम रखे जाते हैं, जिससे वे प्राप्त हो सकें तथा सी.पी.यू. से आसानी से एसेस (Access) किये जा सकें।

(b) रोम (ROM-Read Only Memory)-रोम एक स्थायी मेमोरी है जिसमें रखे डाटा व सूचनाएँ स्वयं नष्ट नहीं होते हैं।

4. आउटपुट यूनिट (Output Unit)यह सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से डाटा लेकर उसे यूजर को समझने योग्य बनाती है।
 CPU की गति को प्रभावित करने वाले कारक
(i) शब्द परास (Word Length)शब्द परास अधिक होने से कम्प्यूटर की गति बढ़ जाती है।

(ii) कम्प्यूटर घड़ी (System Clock)-कम्प्यूटर में एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तन क्लॉक पल्स से होता है।

(iii) समानान्तर गणना (Parallel Processing)यह एक साथ कई माइक्रो प्रोसेसर को समानान्तर क्रम में जोड़कर कार्य करने से CPU की गति क्षमता बढ़ जाती है।

(iv) कैश मेमोरी (Cache Memory)यह मेमोरी यूनिट और कम्प्यूटर की गति के बीच समन्वय स्थापित किया जाता है।

(v) CPU और अन्य उपकरणों के बीच समन्वय-यह CPU की कार्य क्षमता और अन्य उपकरणों की गति क्षमता में तालमेल रखता है।
 कम्प्यूटर की सीमाएँ ।
(i) बुद्धिहीन (No Mind) कम्प्यूटर में स्वयं की सोचने तथा निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है।

(ii) खर्चीला (Expensive)-कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर बहुत कीमती होते हैं। 

(iii) वायरस का खतरा (Immune to Virus)-कम्प्यूटर में वायरस होने का खतरा बना रहता है जो सूचना तथा निर्देशों को दूषित कर सकता है

(iv) विद्युत पर निर्भरता (Depends on Electricity)कम्प्यूटर अपने कार्य के लिए विद्युत पर निर्भर रहता है।
कम्प्यूटर के अनुप्रयोग
कम्प्यूटर का प्रयोग ज्यादातर क्षेत्रों में किया जा रहा है। वर्तमान में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ पर कम्प्युटर प्रयोग नहीं किया जा रहा है  । कम्प्यूटर  के विभिन्न अनुप्रयोग किये जा रहे हैं।
(i) डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing)यह बड़े तथा विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।

(ii) सूचनाओं का आदान-प्रदान (Exchanges of Informations)-यह भण्डारण की विभिन्न पद्धतियों के विकास तथा कम स्थान घेरने के कारण ये सूचनाओं के आदान-प्रादन के बेहतर माध्यम साबित हो रहे हैं।

(iii) शिक्षा (Education)यह मल्टीमीडिया के विकास तथा कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसको विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बनाया है।
(iv) वैज्ञानिक अनुसन्धान (Scientific Research)--यह विज्ञान के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायताली जाती है 

(v) रेलवे और वायुयान आरक्षण (Railway and Airlines Reservation) यह कम्प्युटर की सहायता से किसी स्थानके किसी अन्य स्थान के लिए रेलवे तथा वायुयान की टिकट ली जा सकती है।

(vi) बैंक (Bank) कम्प्यूटर के अनुप्रयोग एटीम और ऑनलाइन बैंकिंग, चेक के भुगतान, आदि में उपयोग किया जा रहा है।

(vii) चिकित्सा (Medicine) कम्प्यूटर का प्रयोग शरीर के अन्दर के रोगों का पता लगाने उनका विश्लेषण और निदान करने में किया जा रहा है।

(viii) रक्षा (Defence) कम्प्यूटर का प्रयोग रक्षा अनुसन्धान, वायुयान नियन्त्रण, मिसाइल, आदि में किया जा रहा है।

(ix)अन्तरिक्ष प्रौधोगिकी (Space Technology)_कम्प्यूटर का प्रयोग तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों, उपग्रहों तथा अन्तरिक्ष की घटनाओं का  सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है।

(x) संचार (Communication)-कम्प्यूटर का प्रयोग टेलीफोन, इन्टरनेट ने संचार क्रान्ति को जन्म दिया है।

(xi) उद्योग व व्यापार (Industry and Business)—यह उद्योगों में कम्प्यूटर के प्रयोग से अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है।

(xii) मनोरंजन (Recreation)-कम्प्यूटर का प्रयोग सिनेमा, टेलीविजन के कार्यक्रम, वीडियो गेम, आदि में होता है।

(xiii) प्रकाशन (Publishing)--कम्प्यूटर का प्रयोग प्रकाशन तथा छपायी में सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है।

(xiv) प्रशासन (Administration)—यह प्रशासन में पारदर्शिता लाने और सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाने तथा विभिन्न प्रशासनिक तन्त्रा में बेहतर तालमेल के लिए ई-प्रशासन का उपयोग कम्प्यूटर की सहायता से सम्भव हो पाया है।

(xv) डिजिटल पुस्तकालय (Digital Library)—यह पुस्तकों को अंकीय स्वरूप प्रदान कर उन्हें अत्यन्त कम स्थान में अधिक समय के लिए। सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे इण्टरनेट से जोड़ देने पर किसी भी स्थान से पुस्तकालय में संगृहीत सूचना को प्राप्त किया जा सकता है।

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग के अभाव

(i) समय की बचत कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्यन्त तीव्र है।।

(ii) त्रुटिरहित कार्य—इसमें कम्प्यूटर के प्रयोग से कार्य में त्रुटि की सम्भावना नगण्य हो जाती है।

(iii) कार्य की गुणवत्ता कम्प्यूटर हर बार समान गुणवत्ता से काम करता है। यह बार-बार एक ही कार्य करने के बाद भी उत्पाद की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता है।

(iv) कागज की बचत—इस डाटा संग्रहण की इलेक्ट्रॉनिक विधियों के उपयोग और उनकी विशाल भण्डारण क्षमता के कारण कम्प्यूटर के प्रयोग से। कागज की बचत सम्भव हो पाती है।

(v) रोजगार में वृद्धि (Increase in Employment) कम्प्यूटरों के व्यापक उपयोग ने इससे सम्बन्धित कई क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर प्रदान किये हैं। सॉफ्टवेयर निर्यात के क्षेत्र में करोड़ों मानव श्रम दिवसों का रोजगार प्राप्त किया गया है, जिससे देश को कीमती विदेशी मुद्रा भी उपलब्ध हो रही है।

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